जगन मोहन रेड्डी बनाम शर्मिला रेड्डी, भाई-बहन की इस लड़ाई का आंध्र प्रदेश में क्या होगा अंजाम?

अमरावती: कडपा बस स्टेशन के बाहर ही अपनी छोटी-सी गुमटी नुमा दुकान पर तेजी से ऑमलेट बनाती मणिकम्मा से जब पूछा कि यहां से कौन जीत रहा है तो उन्होंने इशारे में कहा- मालूम नहीं। बेटे को जल्दी हाथ चलाने के लिए घुड़कने के बीच थोड़ी बातचीत के बाद खुलीं

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अमरावती: कडपा बस स्टेशन के बाहर ही अपनी छोटी-सी गुमटी नुमा दुकान पर तेजी से ऑमलेट बनाती मणिकम्मा से जब पूछा कि यहां से कौन जीत रहा है तो उन्होंने इशारे में कहा- मालूम नहीं। बेटे को जल्दी हाथ चलाने के लिए घुड़कने के बीच थोड़ी बातचीत के बाद खुलीं तो कहने लगी- ‘बच्चे तो दोनों हैं बेटा भी और बेटी भी। पिता पर हक तो दोनों का है। फिर कोई एक क्यों, दोनों क्यों नहीं?’ मणिकम्मा का यह जवाब कहीं न कहीं कडपा की सोच को सामने रखता है कि बेटे-बेटी की इस लड़ाई में अपने नेता वाईएसआर के प्रति प्यार और वफादारी का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा दोनों ही क्यों न दे दिया जाए। यहां बात करने पर जहां बहुत सारे लोग बेटे बनाम बेटी की बात करते दिखे तो मणिकम्मा जैसे लोग भी मिले, जो दोनों को मौका देने के पक्ष में हैं। कैसे? पूछने पर शहर में टेलरिंग शॉप चलाने वाले अख्तर हुसैन का कहना था कि दोनों अलग-अलग लड़ रहे हैं- बेटी कडपा में और बेटा पुलिवेंदुला में। यहां जिक्र हो रहा है- वाईएसआर कांग्रेस के मुखिया और प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी और उनकी बहन वाई. एस. शर्मिला का। जो कडपा के चुनावी मुकाबले के अहम किरदार हैं। पुलिवेंदुला में गांधी सर्कल पर एक नमकीन शॉप चलाने वाली राधिका का कहना था कि भाई के कहने से दो बार वोट दिया (उनका इशारा यहां के मौजूदा सांसद अविनाश रेड्डी की ओर था)। इस बार बहन को मौका देकर देख लेते हैं।

आंध्र प्रदेश का सबसे दिलचस्प चुनावी अखाड़ा अगर कोई है तो वह कडपा संसदीय क्षेत्र। राज्य के पूर्व सीएम वाईएस राजशेखर रेड्डी का पैतृक जिला कडपा, अब उनके नाम पर वाईएसआर कडपा कहलाता है।

लड़ाई का अखाड़ा बना कडपा

आज यह कडपा उनके बेटे जगन और बेटी शर्मिला के बीच उनकी सियासी विरासत की लड़ाई का अखाड़ा बन चुका है। भाई-बहन इस चुनाव में अलग-अलग सीटों से अलग-अलग सदन के लिए चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इस लड़ाई का असली अखाड़ा कडपा ही बना हुआ है। शर्मिला जहां कांग्रेस के टिकट पर कडपा संसदीय सीट से चुनाव लड़ रही हैं तो दूसरी ओर उनके भाई जगनमोहन रेड्डी कडपा संसदीय क्षेत्र में आने वाली असेंबली सीट पुलीवेंदुला से मुकाबले में हैं। कडपा की इस लड़ाई में सिर्फ ये दोनों भाई बहन ही नहीं, बल्कि वाई एस परिवार खेमों के बीच बंटता दिखाई दे रहा है। शर्मिला का मुकाबला उनके चचेरे भाई अविनाश रेड्डी से है, जो वाईएसआर कांग्रेस के न सिर्फ मौजूदा सांसद हैं, बल्कि जगन मोहन उनका पूरा समर्थन कर रहे हैं।

हत्या का मुद्दा है उभरा

एक अहम बिंदु बन कर उभरा है- वाईएसआर रेड्डी के चचेरे भाई और पूर्व सांसद विवेकानंद रेड्डी की हत्या का मुद्दा। इसे लेकर जहां शर्मिला जगनमोहन सरकार को कटघरे में खड़ा रही हैं, तो वहीं वह अपने प्रतिद्वंद्वी अविनाश को विवेकानंद हत्याकांड को लेकर घेर रही हैं। इस मर्डर में अविनाश का नाम आया है। इस लड़ाई में विवेकानंद रेड्डी की बेटी सुनीता और उनके पति राजशेखर रेड्डी भी साथ हैं, जो इसे न्याय की लड़ाई करार दे रहे हैं। कडपा में जगन को घेरने के लिए उनकी बहन सहित पूरा विपक्ष एक होता दिख रहा है। यहां मुकाबला तिकोना है। कांग्रेस से शर्मिला, वाईएसआर कांग्रेस से अविनाश और TDP से चंडीपिराला भूपेश रेड्डी। चर्चा तेज है कि शर्मिला को जिताने के लिए भूपेश ने अपना प्रचार धीमा कर दिया है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, TDP के साथ-साथ सीपीआई और सीपीएम जैसे लेफ्ट दल भी इस बार शर्मिला का भीतरी समर्थन कर रहे हैं, जो पिछली बार यहां से एक-एक फीसदी वोट ले गए थे। कांग्रेस वाईएसआर कांग्रेस के भीतरी समर्थन का भी दावा कर रही है।

कांग्रेस के एक अहम पदाधिकारी का कहना था कि भले ही यहां कांग्रेस का काडर नहीं है, लेकिन शर्मिला के आने की वजह से वाईएसआर का वह काडर जो शर्मिला के साथ काम कर चुका है, उसमें से भी कइयों की सहानुभूति भी शर्मिला के साथ है। अचानक बस स्टैंड की माणिकम्मा की कहीं बात का मर्म पूरी तरह से साफ हो गया। हालांकि, कडपा में आप किसी से भी बात कीजिए तो आपको जगन का पलड़ा ही भारी दिखेगा।

किसानों की नाराजगी से बढ़ेगी जगन की चुनौतियां?

साफ-सुथरी सड़कें और बेहद करीने से बनाई गई इमारतें और सरकारी दफ्तर पहचान हैं, आंध्र प्रदेश के हाई प्रोफाइल इलाके पुलिवेंदुला की, जो सीएम जगन मोहन रेड्डी का विधानसभा क्षेत्र है। वह यहीं से जीत कर पहली बार असेंबली पहुंचे थे। पुलिवेंदुला सिर्फ उनका ही कर्मक्षेत्र नहीं है, बल्कि उनके पिता वाईएसआर की जन्मभूमि और कर्मभूमि भी रही है। जगन की मां विजयाम्मा भी यहां से विधायक रही हैं। पुलिवेंदुला का यह इलाका दो-दो मुख्यमंत्री दे चुका है। वाईएसआर परिवार को लेकर यहां जबरदस्त क्रेज और प्यार है। इस बार उसी पुलिवेंदुला और कडपा में थोड़ी नाराजगी भी दिख रही है। पुलिवेंदुला ड्रिप इरिगेशन के जरिए होने वाले हार्टिकल्चर का केंद्र हैं। मगर, हार्टिकल्चर के काम से जुड़े किसानों में नाराजगी है। पुलिवेंदुला केला, पपीता, तरबूज, अनार, मौसमी, टमाटर और मिर्ची जैसी नकदी फसलें ड्रिप इरिगेशन के जरिए उगाता रहा है। किसानों की नाराजगी है कि चंद्रबाबू की सरकार तक इन्हें ड्रिप इरिगेशन पर जो सब्सिडी मिलती थी, वह जगनमोहन ने आते ही बंद कर दी।

नाराजगी को देखते हुए चुनाव से छह महीने पहले इसे देना शुरू किया, लेकिन पिछले दो महीने से यह चुनावी आचार संहिता के चलते फिर बंद है। इसी तरह से कडपा संसदीय इलाके में माधवारम गांव अपनी खूबसूरत साड़ियों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। इन कारोबार में लगे बुनकरों की शिकायत थी कि उन्हें मिलने वाली सब्सिडी भी बंद कर दी गई।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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